शुक्रवार, 10 मई 2013

यही तो चाहिए . ....

उस लड़की को पढ़ाने से पहले ही उसके बारे में जानकारी मिल गयी थी मुझे .ग्यारह साल की कक्षा छह की वह मासूम सी लड़की का मन पढ़ाई लिखाई में बिलकुल नहीं लगता था . हाँ क्लास के बाहर वह हमेशा चहकती हुई दिखती थी . 
क्लास में मेरा पहला दिन था वह पहली बेंच पर बैठी थी परिचय बातचीत के दौरान वह सहज ही रही . अगले दिन से पढ़ाई शुरू हुई .मैंने देखा उसका मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगता था .जब भी मैं कुछ समझाती उसकी आँखे यहाँ वहाँ घूमती रहती वह कभी ध्यान लगा ही नहीं पाती थी . समझाते हुए कई बार उसका नाम लेकर मैं पूछती बेटा समझ आ रहा है वह असमंजस की स्थिति में सर हिला देती . लिखने के समय भी वह ऐसे ही बैठी रहती .एक दिन मैंने उससे कहा बेटा ऐसे काम नहीं चलेगा तुम्हे लिखना तो पड़ेगा न ? मैं किसी की कॉपी नहीं दूँगी काम पूरा करने के लिए . फिर मैं ने क्लास में सबसे कहा की मुझसे पूछे बिना गणित की कॉपी कोई भी किसी को नक़ल करने के लिए नहीं देगा . अगर किसी ने कॉपी दी तो फिर वो कॉपी उसे वापस नहीं मिलेगी उसे नयी कॉपी बनानी पड़ेगी . 
इसका असर ये हुआ की उसे ये समझ आ गया की अब उसे ही अपना काम करना है . मैंने उसे समझाया की क्लास में जो समझाया जा रहा है उसे ध्यान से सुने नहीं समझ आया तो मुझसे पूछे लेकिन काम पूरा करना ही है . होमवर्क भी मैं वही देती थी जो क्लास में समझा दिया गया हो . 
धीरे धीरे उसने ध्यान देना और लिखना शुरू किया .वह एक ऐसा टॉपिक था जो पिछले ३ सालों से हर साल पढ़ाया जा रहा था .उसमे भी उसके कांसेप्ट क्लीयर नहीं थे . पिछली क्लासेस में उसे हर बार किसी की कॉपी दिलवा दी जाती थी और वह कॉपी पूरी कर लेती थी . टीचर्स कॉपी चेक कर साइन कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती थी . हमारे स्कूल में फोटोकॉपी देने की बहुत बुरी प्रथा थी . वैसे ये शुरू हुई थी सिर्फ बीमार बच्चों की मदद के लिए लेकिन कोई कण्ट्रोल न होने से टीचर्स जिसका भी काम पूरा नहीं है उसे किसी अच्छे बच्चे की कॉपी से फोटो कॉपी करवा कर दे देती थीं . मैं इस फोटो कॉपी प्रथा के सख्त खिलाफ थी और बच्चे ये बात जानते थे इसलिए थोड़ी बहुत आनाकानी के बाद अपना काम पूरा करना सीख ही जाते थे . 
अब धीरे धीरे उसने सुनना और लिखना शुरू किया .जब पहली बार वह होमवर्क करके लाई मैंने उसे बहुत शाबाशी दी उसकी आँखे चमक उठीं . 

पहला चेप्टर ख़त्म हुआ अब अगला चेप्टर भी कठिन नहीं था वह भी पहले पढाया जा चुका था लेकिन वही की उसने तो सिर्फ कॉपी पूरी की थी . पांचवी तक किसी बच्चे को फेल किया ही नहीं जा सकता इसलिए वह पास होते हुए कक्षा छह तक आ गयी लेकिन अब वह खुद ही उलझन में रहती थी . कभी आँख मिला कर बात नहीं करती थी . पूरे समय एक अजीब सा असमंजस उसकी आँखों में रहता था . वह भी जानती थी की ये पहले पढाया जा चुका है और सभी बच्चे अपने आप कर रहे है इसलिए पूछने में हिचकिचाती थी . 
उस दिन उसके पास खड़े होकर मैंने देखा कि उसे साधारण गुणा  भाग करने में भी परेशानी हो रही है .मैंने उसकी कॉपी में एक दो सवाल समझाये और उससे कहा मैं तुम्हे तीन दिन देती हूँ उसमे तुम्हे ये सीखना है घर में रोज़ पच्चीस सवाल करना है तुम ये कर लो बाकी मुझ पर छोड़ दो . 
वह बोली मेम मैं मैथ्स में बहुत कमजोर हूँ .
मैंने कहा किसने कहा मुझे तो ऐसा नहीं लगता बस तुमने प्रेक्टिस थोड़ी कम की है उसे हम अब करेंगे .तुम रोज़ घर में प्रेक्टिस करो मैं चेक करूंगी फिर देखना कैसे तुम मेथ्स में बढ़िया हो जाओगी . तुम भी चाहती हो न कि कोई तुम्हे कमजोर न समझे ?  
उसकी आँखों में चमक आ गयी . एक विश्वास चेहरे पर फ़ैल गया उसने डबडबाती आँखों से सर हिल हर हाँ कहा .अगले दिन उसने बताया की मैंने मम्मी से कहा उन्होंने मुझे पच्चीस सवाल करने को दिए थे मैंने सब सही किये . 
मैंने उसकी पीठ थपथपा कर कहा बस बहुत जल्दी तुम क्लास की अच्छी स्टूडेंट बन जाओगी . 
जल्दी ही वह क्लास में ध्यान देने लगी सुन कर समझने और अपने आप सवाल हल करने लगी . 

किसी कारणवश मुझे जॉब छोड़नी पड़ी . आज वही लड़की फेस बुक पर मिली और बोली मेम आपकी वजह से मैं मेथ्स में अच्छा करने लगी हूँ पहली बार मुझे बहुत अच्छे नंबर मिले हैं और मैं पास हुई हूँ .सच कहूँ मुझे इतनी ख़ुशी हुई की बता नहीं सकती एक टीचर को यही तो चाहिए . 

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सार्थक और बोधकारी प्रस्तुति.

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  2. जीवन का सृजन यही होता है
    सारगर्भित आलेख
    सुंदर अनुभूति
    बधाई

    आग्रह है पढ़ें "अम्मा" मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  3. बच्चों को होंसला और उनके साथ प्रयास करना पड़ता है ... बाकी काम वो खुद कर लेते हैं ...
    आज कल बहुत मुश्किल हैं ऐसे अध्यापक मिलना भी ...

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  4. बहुत सुंदर .बेह्तरीन .शुभकामनायें.

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  5. Bachchon ke sath unke yesa banke,unhe wishwas mw lekar unhe sahzata se sikhaiye...q n sikhenge....thodi mushkil to hai...par yese teachter ab kam hain.....sarahniy lekh..

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