शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

जवाब


करीब पंद्रह सालों से शिक्षण के क्षेत्र में हूँ। रोज़ ही कई तरह के अनुभव होते है कुछ अच्छे कुछ मन को अच्छे न लगने वाले भी। ऐसे में सोचने लगती हूँ क्या अभी भी इस में बने रहना चाहिए ?
करीब चौदह साल की नौकरी के बाद दो साल का ब्रेक लिया उसके बाद फिर ज्वाइन किया। कहते है न समय की नदी में पानी बड़ी तेज़ी से बहता है वापसी पर सब कुछ बदल बदला सा लगा। कुछ आराम का असर था तो कुछ माहौल और काम के तरीके बदलने का। रोज़ सोचती थी क्या वापस ज्वाइन करके ठीक किया ? एक दिन मन सुबह से ही उदास था सुबह किसी से बात भी नहीं की बस रजिस्टर उठाया और क्लास में जाने के लिए सीढ़ियाँ उतरने लगी। सामने से एक लड़की कंधे पर बैग लटकाये सीढ़ियां चढ़ रही थी मेरे पास आकर पूछने लगी "आप कविता मेम हैं ना ?" 
हाँ ,सुनकर वह खुश हो कर कहने लगी "मेम आप को शायद मेरी याद नहीं होगी लेकिन आपने मुझे पढ़ाया है। "
"अच्छा "उदासी की एक हलकी सी परत उडी तो लेकिन धुंधला पन  नहीं गया। "कब किस क्लास में ?"
"मेम अ ब स स्कूल में जब मैं दूसरी कक्षा में पढ़ती थी आप मुझे मैथ्स पढ़ाती  थीं। मेम आपने ही मैथ्स में इतना इंटरेस्ट पैदा किया मुझे मैथ्स बहुत अच्छा लगने लगा। "
"ओह्ह ,उस स्कूल को छोड़े ही कई साल हो गए अब तुम कौन सी क्लास में हो। "
"मेम बारहवीं में। "
"और क्या सब्जेक्ट लिया है ?" खुद के इस सवाल पर हंसी आई खुद ही जवाब दिया मैथ्स !!! 
"यस मेम "उसने भी हंस कर जवाब दिया। " आपको देख कर अच्छा लगा मेम।  
कह कर वह आगे बढ़ गई साथ ही मन पर छाए धुंधलेपन को भी साथ ले गई। मन में उठने वाले नकारात्मक विचारों का इससे बेहतर कोई जवाब शायद हो ही नहीं सकता था। 

बुधवार, 22 जनवरी 2014

शिष्यों की परीक्षा

एक शिष्य  सोचा कि जब गुरूजी ने कहा है तो ये काम करना ही चाहिए ,इसलिए वह बार बार प्रयास करता रहा।
http://www.youtube.com/watch?v=Ny62AHriu_g&feature=youtu.be