आज में बहुत खुश हूँ...बात ही कुछ ऐसी है...अब आप कह सकते हैं की इसमें कौन बड़ी बात है ये तो होता ही रहता है..लेकिन मेरे लिए बड़ी बात है तो है ..में खुश हूँ तो हूँ संतुष्ट हूँ तो हूँ.
चलिए आपको भी बता ही देती हूँ मेरी ख़ुशी का राज़.मेरी क्लास में एक लड़की है.नाम....चलिए कहें नेह ..जब मैंने इस क्लास में पढ़ाना शुरू किया तो देखा ये लड़की चुपचाप सी बैठी रहती है कुछ समझाओ तब भी उसके चेहरे और आँखों में कुछ ना समझने के से भाव रहते हैं.दो चार बार उसके पास खड़े हो कर उसे सवाल हल करते देखा तो पाया की उसे वाकई कुछ समझ नहीं आ रहा है.कुछ सवालों को साथ में हल करवाया तो देखा की उसे तो चार ओर सात जोड़ने में भी समय लगता है.सच कहूँ एक हताशा सी छा गयी लगा बाबा रे कितनी मेहनत करना पड़ेगी इसके साथ.अब ३६ बच्चों की क्लास में एक के साथ इतना समय बिताना संभव भी तो नहीं होता. लेकिन अच्छा नहीं लगा सोचा उसे थोडा अतिरिक्त समय दूँगी और कम से कम एवरेज तक लाने की कोशिश तो कर ही सकती हूँ.
काम कठिन था.उसकी पिछले साल वाली मेम से उसके बारे में पूछा तो जवाब मिला की उसे कुछ नहीं आता मैंने उसे सारे साल बोर्ड के सामने खड़ा करके समझाया लेकिन उसने कुछ नहीं किया.लेकिन इससे ये तो समझ आया की क्लास में उसके इतने चुप रहने का कारण क्या है. शायद कुछ नहीं आता इस वजह से सबके आकर्षण का केंद्र बनने का डर.
एक दिन कुछ सवाल घर से हल करके लाने को कहे . और उससे खास तौर पर कहा की बेटा बुक में इस पेज पर इनके उदहारण हैं यदि कोई परेशानी हो तो उन उदाहरणों को पढना. दूसरे दिन जब उसने कॉपी दिखाई तो आश्चर्य हुआ की उसने सभी सवाल सही हल किये थे.मैंने उसे क्लास में सबके सामने खूब शाबाशी दी .उसके लिए तालियाँ बजवाईं.उस दिन २ महिने में पहली बार उसके चेहरे पर मुस्कान दिखाई दी.उस मुस्कान ने उसका ही नहीं मेरा भी आत्मबल बढा दिया..
एक दो दिन बाद ही किसी बात पर मैंने बच्चों को कहानी सुनाई .पाणिनि की कहानी करत करत अभ्यास के ...रसरी आवत जात है सिल पर होत निशान..मैंने देखा वह बहुत ध्यान से कहानी सुन रही थी..कहानी के आखिर में एक पल को मैंने उसकी आँखों में देखा ओर कहा की किसी के लिए भी कोई काम मुश्किल नहीं है.उसने आँखों ही आँखों में उस बात को स्वीकारने का इशारा किया..और फिर में सभी बच्चों की और मुखातिब हो गयी.
अब होने ये लगा की की जब में क्लास में पूछती की किसे ये समझ नहीं आया तो वह धीरे से हाथ उठा देती..और वो भी बिना इधर उधर देखे. पूछने का उसका संकोच ख़त्म होने लगा था. जब बच्चे इस बात के लिए हाथ उठते हैं की उन्हें समझ नहीं आता तो उन्हें वैरी गुड जरूर कहती हूँ साथ ही ये भी की पूछना बहुत अच्छी आदत है.
एक दिन वह मुझे कोरिडोर में मिली उससे पूछा बेटा पढाई कैसी चल रही है. तुम अच्छी कोशिश कर रही हो..बस ऐसे ही प्रेक्टिस करती रहो इस बार ऐसा रिजल्ट लायेंगे की सब देखते रह जायेंगे..क्यों ठीक है ना??और वह मुस्कुरा दी.
आज मैंने एक टेस्ट लिया और उस टेस्ट में नेह पास हो गयी जी सिर्फ पास ही नहीं हुई बहुत अच्छे नंबरों से पास हो गयी.आप मेरी ख़ुशी का अंदाज़ा नहीं लगा सकते..उस लड़की ने कर दिखाया..और शायद पहली बार वह मेथ्स में पास हुई है ..बस मुझे इंतज़ार है कल का जब में उसे उसकी कॉपी दूँगी ओर उसकी आँखों में फिर वो मुस्कान देखूंगी..
Very Nice..!
जवाब देंहटाएंa very heart touching incidence. and very emotional too..
जवाब देंहटाएंbacche to pyar ke bhukhe hote hai..
apne jo kam kiya wo wakai prashansha ke yogya hai..
aur bahut kam hi log hai jo baccho ki bhavnao ko samajh pate hai..
mujhe vishwas hai ki wo bacchi abhi aur aage jayegi...
हार्दिक बधाई,आपके इस प्रयत्न को...|
जवाब देंहटाएंऔर नेह को ढेरों शुभकामनाएँ |
सादर |
काश सभी शिक्षक आपकी तरह होते
जवाब देंहटाएंhardik badhai ..bhavapoorn abhivyakti prastuti ke liye abhar ..
जवाब देंहटाएंपरन्तु ऐसे शिक्षक भी आसानी से नहीं मिलते. प्रेरक प्रसंग.
जवाब देंहटाएंशिक्षा के व्यवसायीकारण के इस दौर में आप जैसे शिक्षक भी हैं जान कर अच्छा लगा | बढ़िया प्रसंग |
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में पधारें और जुड़ें |
मेरा काव्य-पिटारा
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएंutam-***
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह! यदि हम सभी शिक्षक निष्ठा से 'इसे' ही अपनी खुशी समझ लें तो शिक्षाव्यवस्था ही सुधर जाए.अहम संदेश प्रस्तुत किया है.
जवाब देंहटाएंwah.. awsome
जवाब देंहटाएंSuperb
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर | आभार |
जवाब देंहटाएंसमय मिलने पर गौर फरमाएं और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
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